विद्या जाने Talk on Education

शिक्षा समाज में जाने अनजाने सदैव चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है| जिसके द्वारा मनुष्य की भीतरी शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है जिससे कि वह योग्य नागरिक बन सके ।

आज का विचार

भारतीय शिक्षा प्रणाली

भारत में शिक्षा प्रणाली एक जटिल और विशाल शैक्षिक परिदृश्य है, जो अपने समृद्ध इतिहास और विविध संस्कृति को दर्शाती है। आधुनिक भारत में शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा सहित विभिन्न चरण शामिल हैं। शिक्षा मुख्यतः सार्वजनिक संस्थानों से प्रदान की जाती है, जिसमें नियंत्रण और वित्तपोषण केन्द्र, राज्य और स्थानीय निकायों से आता है।
यह कडवी सचाई है कि भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली का ढांचा औपनिवेशिक है, यद्यपि इसको बदलने के तमाम प्रयास विभिन्न आयोगों का गठन करके किया गया | थोड़े बहूत परिवर्तन तो हुए किन्तु नयी शिक्षा निति 2020 के बाद भी मूल ढांचा औपनिवेशिक ही रहा | आधुनिक शिक्षा प्रणाली के ढाँचे को ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था। इस प्रणाली का उद्देश्य था कि भारतीयों को अंग्रेजी भाषा, संस्कृति और नियमों को सिखाया जाए, ताकि वे ब्रिटिश सत्ता के अधीन रहें। इस प्रणाली में रटकर सीखने और परीक्षा-केंद्रित मूल्यांकन विधियों पर जोर दिया गया, जिससे भारतीयों की रचनात्मकता, स्वतंत्रता और आत्मसम्मान को दबाया गया।² भारत की आजादी के बाद, भारत में शिक्षा प्रणाली में कई सुधार और परिवर्तन किए गए, जैसे कि:
संविधान के अनुसार शिक्षा का अधिकार: भारत का संविधान १९५० में लागू हुआ, जिसने शिक्षा को एक मौलिक अधिकार बनाया। इसने राज्यों को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक स्वायत्तता प्रदान की और शिक्षा को एक सामाजिक न्याय का माध्यम बनाया। २००९ में, शिक्षा का अधिकार अधिनियम पारित हुआ, जिसने ६ से १४ वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया।
- समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए): यह एक एकीकृत योजना है, जो प्री-स्कूल से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा को समग्र रूप से मानने का प्रस्ताव किया गया है। इस योजना का उद्देश्य स्कूली शिक्षा और समान सीखने के परिणामों के समान अवसरों के संदर्भ में स्कूल प्रभावशीलता में सुधार करना है।

- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी): यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है, जो बालिकाओं के खिलाफ होने वाली भेदभाव, गर्भपात, लैंगिक असमानता और शिक्षा में अवरोधों को दूर करने का लक्ष्य रखता है। इस अभियान के तहत, बालिकाओं को जन्म से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सशक्तिकरण तक के सभी चरणों में समर्थन और प्रोत्साहन दिया जाता है।⁵

- शिक्षा के लिए सभी (ईएफए): यह एक वैश्विक गतिविधि है, जो 2000 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य है कि 2030 तक सभी बच्चों, युवाओं और वयस्कों को गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और जीवनपर्यंत शिक्षा प्रदान की जाए।

प्रतिष्ठित विद्यालय

   स्कूल आफ एक्सीलेंस दिल्ली (DBRA SOSE) एक प्रमुख मान्यता प्राप्त सरकारी स्कूल है जो शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह स्कूल छात्रों के सकारात्मक विकास को प्राथमिकता देता है और व्यक्तित्व निर्माण को समर्पित है। यहां एक विशेषाधिकार स्थापित है जो विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रकाशित करने का अवसर प्रदान करता है। स्कूल आफ एक्सीलेंस दिल्ली विभिन्न शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है जो छात्रों के सम्पूर्ण विकास को बढ़ावा देते हैं। इस स्कूल का उच्चतम मानकों के साथ मध्यमिक और उच्चतर शिक्षा का पूरा समर्थन किया जाता है।

            केन्द्रीय विद्यालय (KVS) भारतीय शैक्षणिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सरकारी विद्यालयों का संगठन है जो कि केंद्रीय मंत्रालय द्वारा प्रबंधित होता है। ये विद्यालय देशभर में विभिन्न राज्यों में स्थित होते हैं और मुख्य शहरों में स्थापित होते हैं। केन्द्रीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है और यहां पर अध्यापकों की क्षमता और छात्रों की उपलब्धता भी ध्यान में रखी जाती है। इन विद्यालयों में छात्रों को महत्वपूर्ण विषयों के अलावा साहित्य, कला, संगीत, खेल-कूद और अन्य गतिविधियों में भी रुचि बढ़ाने का मौका मिलता है।

      नवोदय विद्यालय एक सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय है जो पूर्ण रूप से आवासीय है| यह भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित है। यह विद्यालय छात्रों को एक प्रगतिशील और सुरम्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है। इन विद्यालयों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी शुल्क के शिक्षा की सुविधा प्रदान करना है। इन विद्यालयों की स्थापना नवोदय विद्यालय समिति द्वारा 1986 में की गई थी और यहां प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के माध्यम से छात्रों का चयन किया जाता है। इन विद्यालयों में छात्रों को अनुशासन, शिक्षा, खेल-कूद, कला और सांस्कृतिक गतिविधियों का संयोजन मिलता है। नवोदय विद्यालय छात्रों के विकास को प्राथमिकता देता है और उन्हें एक बेहतर भविष्य की ओर अपने कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। https://navodaya.gov.in/nvs/en/Home1

सैनिक स्कूल एक ऐसा शिक्षा संस्थान है जो छात्रों को सैन्य तथा अकादमिक दोनों प्रकार की शिक्षा प्रदान करता है। यह छात्रों को सैन्य जीवन की प्रशिक्षण देता है ताकि वे बचपन से ही देश की सेवा में तत्पर हो जाएं। सैनिक स्कूलों में छात्रों को मनोबल, शारीरिक क्षमता, वीरता, और सामूहिक जीवन का महत्व अच्छे से समझाया जाता है। यहां पर छात्रों को अधिकतर विद्यालयों की तुलना में अधिक गाठबंधन, नियमावली और शारीरिक श्रम का सामर्थ्य प्राप्त होता है। सैनिक स्कूल छात्रों के व्यक्तित्व विकास को न वेशभूषा मानते हैं, न जातिवादी होते हैं, बल्कि वे उनमें एक सच्चे सिपाही की भावना जगाते हैं। इन स्कूलों में शिक्षा और सैन्यजीवन दोनों को एक साथ जीने का अद्वितीय अनुभव मिलता है। भारत में सैनिक स्कूल की स्थापना और कार्य के बारे में आपको निम्नलिखित जानकारी है -

  • सैनिक स्कूल वे आवासीय विद्यालय हैं, जो देश की रक्षा सेवाओं में अधिकारी वर्ग के लिए विद्यार्थियों को तैयार करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं।

  • सैनिक स्कूल की स्थापना 1961 में तत्कालीन रक्षा मंत्री वी.के. कृष्ण मेनन ने की थी।

  • सैनिक स्कूल का संचालन रक्षा मंत्रालय के अधीन, सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा किया जाता है।

  • सैनिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्रदान करते हैं और सीबीएसई पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं।

  • सैनिक स्कूल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय नौसेना अकादमी में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को अनुशासन, शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करते हैं।

  • भारत में वर्तमान में लगभग 33 सैनिक स्कूल हैं, जिनमें से 23 साझेदारी मोड में और 21 नए सैनिक स्कूल रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में घोषित किए हैं। अभी कुछ नए स्कूल बन भी रहे हैं

  • सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को प्रवेश परीक्षा, साक्षात्कार और मेडिकल टेस्ट को उत्तीर्ण करना होता है।

  • सैनिक स्कूल में प्रवेश केवल 6वीं और 9वीं कक्षा में होता है।

  • सैनिक स्कूल में विद्यार्थियों को बेहतरीन हॉस्टल, आधारभूत संरचना, उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और सह-शैक्षिक गतिविधियों की सुविधा मिलती है।

  • संयुक्त रूप से इन स्कूलों में चयन ALL INDIA SAINIK SCHOOLS ENTRANCE EXAM | AISSEE द्वारा होता है |

अधिक जानकारी के लिए आप निम्नलिखित लिंक पर क्लिक कर सकते हैं:

RIMC DEHRADUN

राष्रीय इन्डियन मिलेट्री कालेज ,देहरादून

            राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला, अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी, चेन्नई और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून जैसे संस्थानों के लिए 'नेतृत्व की नर्सरी' है। कॉलेज साढ़े 11 से 18 वर्ष की आयु के युवा लड़कों को पब्लिक स्कूल शिक्षा प्रदान करता है, जो विशेष रूप से अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से चुने जाते हैं। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और नौसेना अकादमी (एनएवीएसी) के लिए एक समर्पित फीडर, कॉलेज का लक्ष्य अधिकतम लड़कों को एनडीए/एनएवीएसी में भेजना है। इसलिए यह कैडेटों की संपूर्ण शिक्षा और सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास पर अत्यधिक जोर देता है। हालाँकि, यदि कैडेट दुर्लभ या अपरिहार्य कारणों से एनडीए में शामिल होने में असमर्थ है, तो वह आगे बढ़ने और अपने द्वारा चुने गए किसी भी क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अपेक्षित दक्षता प्राप्त कर लेता है। ऐसे कई कैडेट हैं जो नौकरशाह, वकील, इंजीनियर, कॉर्पोरेट नेता, उद्योग के कप्तान और पत्रकार बन गए हैं, जिन्होंने अपने सभी प्रयासों में आरआईएमसी ध्वज को ऊंचा रखा है।

आज का लेख - वर्तमान भारतीय शिक्षा की चुनौतियाँ

      वर्तमान में भारतीय शिक्षा के कई समस्याएं हैं। एक मुख्य समस्या है कि शिक्षा का स्तर अभी भी काफी कम है और यह बच्चों की गुणवत्ता पर असर डालता है। बहुत सारे विद्यालयों में शिक्षकों की कमी होती है और इसके कारण छात्रों को सही शिक्षा नहीं मिल पाती है। दूसरी समस्या यह है कि शिक्षा का खर्चा अधिक हो जाता है और इसके कारण बहुत सारे बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार को उच्चतर निर्धारित बजट और बेहतर शिक्षा नीतियों की आवश्यकता है।

       वर्तमान में भारतीय शिक्षा की समस्याएं बहुत संकटग्रस्त हैं। शिक्षा के क्षेत्र में आई असमानताएं और विषमताएं इसे एक मुश्किल हालत में डाल रही हैं। गरीबी और वंचितता के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उन्हें कोई अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा शिक्षा का गुणवत्ता स्तर भी बहुत कम हो गया है। भारत में अधिकांश सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई और विकास में बाधाएं आती हैं। साथ ही, शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूलों की बढ़ती हुई भूमिका भी इस समस्या को गंभीरता के साथ बढ़ा रही है। इसलिए, हमें शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

     पेडागाजी (Pedagogy) शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शिक्षण-कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन है। इसमें अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है। शिक्षक अध्यापन कार्य करता है तो वह इस बात का ध्यान रखता है कि अधिगमकर्ता को अधिक से अधिक समझ में आए।

     पेडागाजी के विभिन्न प्रकार हैं, जैसे कि व्यवहारवादी पेडागाजी, संज्ञानात्मक पेडागाजी, समाजवादी पेडागाजी, नैतिक पेडागाजी, आईसीटी पेडागाजी आदि। इन प्रकारों का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को बढ़ाना है।

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शिक्षक की पेडागाजी

माँ की डायरी

प्रिय डायरी,

आज मेरे बच्चों ने मुझे गर्व महसूस कराया। वे अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे और मैंने देखा कि वे सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार कर रहे थे। यह देखकर मुझे खुशी हुई कि मेरे बच्चे सम्मान और सहानुभूति की महत्व को समझते हैं|

मेरे बच्चों की प्रगति देखकर मुझे खुशी होती है। वे हर दिन कुछ नया सीखते हैं और मैं उनकी यात्रा का हिस्सा बनने में गर्व महसूस करती हूं। मैं उन्हें हर दिन बढ़ते देखती हूं, और यह मेरे लिए अद्वितीय अनुभव है।

मैं उनके लिए सबसे अच्छा चाहती हूं और मैं उन्हें हर दिन बेहतर बनने के लिए प्रेरित करती हूं। मैं उन्हें यह सिखाती हूं कि वे हमेशा अपने सपनों के पीछे जाएं और कठिनाईयों का सामना करने का साहस रखें।

मेरे प्यारे बच्चों, तुम्हारी मां हमेशा तुम्हारे साथ है।

स्नेह,-

माँ 

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