दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के महत्व को हम सभी को स्वीकार करना चाहिए। यह न केवल उन बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं, बल्कि सामाजिक और मानसिक रूप से भी दिव्यांग हैं। उन्हें समान शिक्षा का अधिकार होना चाहिए ताकि वे स्वतंत्रता और समानता के साथ अपने जीवन को जी सकें। इसके लिए, हमें सरकार और समाज के सहयोग की जरूरत होती है। स्कूलों में विशेष शिक्षकों की उपलब्धता और पाठ्यक्रम में संशोधन की आवश्यकता होती है। इससे दिव्यांग बच्चों को उचित योग्यता, ज्ञान और संकल्प के साथ अद्यतनीकृत शिक्षा प्राप्त हो सकती है।
दिव्यांग बच्चों की शिक्षा
दिव्यांग शिक्षा अधिकार
दिव्यांग शिक्षा अधिकार और कानून उन लोगों को समर्पित है जिन्हें विशेष शिक्षा की आवश्यकता होती है जो विभिन्न शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक रूप से विकलांग होते हैं। यह अधिकार उनके लिए अग्रिम मुहैया कराता है जो उच्च स्तर की शिक्षा के लिए योग्य होते हैं। दिव्यांग शिक्षा कानूनों और नियमों के माध्यम से सुनिश्चित की जाती है जो उनकी अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण करते हैं। इसके तहत, विशेष शिक्षा केंद्रों का संचालन और विकलांग छात्रों की सुरक्षा और देखभाल का प्रबंधन किया जाता है। दिव्यांग छात्रों को उनकी जरूरतों के अनुरूप पठन-पाठन, विश्राम और संगठन की सुविधा प्रदान की जाती है। वर्त्तमान में 21 प्रकार के दिव्यांगता को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की गई है |