शैक्षिक प्रबंधन संस्थान
भारतीय विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और शिक्षकों के पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण के द्वारा विभिन्न संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इधर कुछ वर्षों से गैर सरकारी संस्थानों (NGO)का इस क्षेत्र में दखल बढ़ा है किन्तु यह अभी महत्वपूर्ण भूमिका में नहीं हैं |सरकार के विभिन्न संस्थान शिक्षकों और छात्रों को एक मान्यता प्राप्त डिग्री देने के साथ-साथ उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। इन संस्थानों में विद्यार्थियों को व्यापक पाठ्यक्रम, विज्ञान, कला, वाणिज्य, वाणिज्यिक बिजनेस, इंजीनियरिंग, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, सामाजिक विज्ञान, भूगोल, भूगर्भ और अन्य क्षेत्रों में अध्ययन कराया जाता है। शिक्षकों के लिए भी इन संस्थानों के द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो उन्हें नवीनतम शिक्षण तकनीकों, पाठ्यक्रम विकास और छात्रों के सही दिशा-निर्देश के बारे में जागरूक करते हैं।
भारत में विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और शिक्षकों के पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ संस्थान निम्नलिखित हैं
शिक्षा मंत्रालय1- यह भारत सरकार का एक मंत्रालय है, जो देश में शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत दिशा निर्धारित करता है। इस मंत्रालय के अंतर्गत दो विभाग हैं: उच्च शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग। इस मंत्रालय ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20202 को मंजूरी दी, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधारों का रूप लेगी।
शिक्षक शिक्षा- यह भारत में शिक्षकों की योग्यता, कौशल और आदर्शों को बढ़ाने के लिए एक शैक्षिक कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत दो प्रकार के प्रशिक्षण होते हैं: प्रारंभिक प्रशिक्षण और सेवाकालीन प्रशिक्षण। प्रारंभिक प्रशिक्षण में शिक्षकों को शिक्षण के सिद्धांत, विधियां और विषय वस्तु का ज्ञान दिया जाता है। सेवाकालीन प्रशिक्षण में शिक्षकों को अपने कौशलों को नवीनीकरण और उन्नत करने के लिए नए शैक्षिक विकास, अनुसंधान और उद्यमिता के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
भारतीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT):- यह एक स्वायत्त संस्था है, जो शिक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ाना है। इसके लिए यह विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें, शिक्षण सामग्री, शैक्षिक अनुसंधान, शिक्षक प्रशिक्षण, शैक्षिक सलाह और सहायता आदि का निर्माण और प्रसार करती है।
विभिन्न राज्यों में SCERT - -यह एक स्वायत्त संस्था है, जो राज्य शिक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है। इसका मुख्य उद्देश्य NCERT की तरह ही शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ाना है। इसके लिए यह विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें, शिक्षण सामग्री, शैक्षिक अनुसंधान, शिक्षक प्रशिक्षण, शैक्षिक सलाह और सहायता आदि का निर्माण और प्रसार करती है।
इनके अलावा भारत में अन्य कई संस्थान हैं, जो शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जैसे उच्च शिक्षा आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (NEC), राष्ट्रीय शिक्षा संगठन (NOS) NIEPA,आदि।
भारत के शिक्षण संस्थान
भारत में विद्यालयों और विश्वविद्यालयों की संख्या का ठीक-ठाक आंकड़ा मिलना मुश्किल है, क्योंकि विभिन्न स्तरों पर शिक्षा के क्षेत्र में अनेक निकाय और संगठन काम कर रहे हैं। फिर भी, कुछ स्रोतों के अनुसार, भारत में लगभग 15 लाख से अधिक विद्यालय हैं, जिनमें से 1.2 लाख केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, केंद्र शासित प्रदेशों के विद्यालय और अन्य सरकारी विद्यालय हैं1।
विश्वविद्यालयों की संख्या के बारे में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कुल विश्वविद्यालयों की संख्या 789 है, जिनमें से 48 केन्द्रीय विश्वविद्यालय, 367 राज्य विश्वविद्यालय, 123 स्वायत्त विश्वविद्यालय, 5 इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस, 25 राज्य ओपन विश्वविद्यालय और 14 इंस्टीट्यूशनल विश्वविद्यालय हैं2। इसके अलावा, 37,204 कॉलेज और 11,443 स्टैंड-अलोन संस्थान भी हैं3।
NCERT का पूरा नाम राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद है। यह भारत सरकार का एक स्वायत्त संगठन है, जो भारत में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायता करता है। यह संगठन 1961 में स्थापित किया गया था। NCERT के बारे में और अधिक जानने के लिए, इसकी वेबसाइट पर जा सकते हैं|
NCERT का कार्य: NCERT के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:शैक्षिक अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अध्ययन, सहायता, संवर्धन और समन्वय करना।मॉडल पाठ्यपुस्तकें, पूरक सामग्री, समाचार पत्र, पत्रिकाएं और अन्य संबंधित साहित्य का निर्माण और प्रकाशन करना।शिक्षकों का पूर्व-सेवा और सेवा-प्राप्ति प्रशिक्षण आयोजित करना।नवाचारी शैक्षिक तकनीकों और प्रथाओं का विकास और प्रसार करना।राज्य शिक्षा विभागों, विश्वविद्यालयों, एनजीओ और अन्य शैक्षिक संस्थानों के साथ सहयोग और नेटवर्किंग करना।स्कूल शिक्षा से संबंधित विषयों में विचार और सूचना का एक क्लियरिंग हाउस का कार्य करना।सामूहिक शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक नोडल एजेंसी का कार्य करना।
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS )
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) का कार्य है कि वह देश के विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों के शिक्षार्थियों को माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, व्यावसायिक और सामुदायिक पाठ्यक्रम प्रदान करे। इसके अलावा, यह अपने मुक्त बेसिक शिक्षा कार्यक्रमों (ओबीई) के माध्यम से प्राथमिक स्तर की शिक्षा भी देता है। यह एक स्वायत्त संगठन है, जिसकी स्थापना 1989 में भारत सरकार द्वारा की गई थी।1
यदि आप एनआईओएस के पाठ्यक्रमों, प्रवेश, परीक्षा, प्रमाणपत्र या अन्य सेवाओं के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप इन लिंक्स पर क्लिक कर सकते हैं
भारतीय उच्चतर अध्ययन संस्थान (भारतीय उच्चतर अध्ययन संस्थान, शिमला), जिसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी, एक आवासीय केंद्र है जो जीवन और विचार संबंधी मौलिक विषयों और समस्याओं के बारे में नि:शुल्क और सृजनात्मक अन्वेषण के लिए बनाया गया है। यह संस्थान गहरे मानव महत्व वाले विषयों में सृजनात्मक सोच को बढ़ावा देने, शैक्षिक शोध हेतु उपयुक्त माहौल प्रदान करने, उच्च अनुसंधान शुरू करने, इनका आयोजन करने, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देने के लिए एक आवासीय केंद्र है। यहाँ के कार्य निम्नलिखित हैं:
1. गहरे मानव महत्व वाले विषयों में सृजनात्मक सोच को बढ़ावा देना और शैक्षिक शोध हेतु उपयुक्त माहौल प्रदान करना।
2. मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास, पद्धतियों और तकनीकों में उच्च अनुसंधान शुरू करना, इनका आयोजन करना, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देना।
3. उच्च परामर्श सहयोग हेतु सुविधाएं और व्यापक पुस्तकालय और प्रलेखन सुविधाएं प्रदान करना।
4. विद्यालय शिक्षकों और अन्य अध्येताओं के लिए उच्च अध्ययन हेतु वित्तीय सहायता शामिल है।
5. राष्ट्रीय सेमिनार, लेक्चर, संगोष्ठियां, सम्मेलन आदि का आयोजन करना।
6. भारत और व राज्यों को उच्चतर अध्यन में सहायता प्रदान करना |
आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास
आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। शिक्षा ने देश को दिशा दी है और उसे विकास की ऊचाइयों तक पहुंचाया है। स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बदलाव हुआ है। आजकल, विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में नवीनतम विकास के साथ-साथ, कला, साहित्य और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। शिक्षा के माध्यम से आधुनिक भारतीय समाज ने नए विचारों को अपनाया है और समाज में समानता, विचार की आजादी और संघर्ष की भावना को प्रोत्साहित किया है। इसलिए, शिक्षा का विकास आधुनिक भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आधुनिक भारत में शिक्षा का विकास ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल से शुरू हुआ था। वर्ष 1781 में वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता में एक मदरसा की स्थापना की थी, जिसमें अरबी और फारसी भाषाओं का अध्ययन किया जाता था। इसके बाद वर्ष 1791 में बनारस में एक संस्कृत कॉलेज की स्थापना हुई, जिसमें हिंदू धर्म, साहित्य और कानून का अध्ययन किया जाता था। वर्ष 1813 के चार्टर अधिनियम में शिक्षा के लिए 1 लाख रुपये का अनुदान प्रावधान किया गया था। इसके बाद विभिन्न शिक्षा नीतियों और आयोगों के द्वारा भारत में शिक्षा के विकास को बढ़ावा दिया गया था। इनमें मैकाले शिक्षा पद्धति, वुड्स डिस्पैच, हंटर शिक्षा आयोग, विश्वविद्यालय आयोग आदि शामिल थे। सतत विकास जारी है
विभिन्न प्रशिक्षण संस्थान
CSIR .वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद
CSIR (Council of Scientific and Industrial Research) भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण संगठन है, जो वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान को बढ़ावा देने का कार्य करता है। यह संगठन भारतीय वैज्ञानिकों को आवश्यक संसाधनों, विद्युत और औद्योगिक प्रयोगशालाओं को प्रदान करता है ताकि वे नवाचारी और विश्वस्तरीय अनुसंधान कर सकें। CSIR के कार्य में नई औद्योगिक प्रौद्योगिकी, औद्योगिक उत्पादों का विकास, वनस्पति उत्पादन, जल संरक्षण, जीवन विज्ञान, औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण और वैधानिक मामलों में सहायता शामिल है। CSIR की प्रमुख मिशन हैं देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उन्नति को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय विकास में योगदान प्रदान करना। CSIR का फुल फॉर्म Council of Scientific and Industrial Research है, जिसको हिंदी में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद कहते हैं। यह भारत का एक अग्रणी अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त और उपयोगी अनुसंधान करता है। CSIR की स्थापना सितंबर, 1942 में हुई थी। CSIR के पास वर्तमान में 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं, 39 आउटरीच केंद्र, 3 नवाचार परिसर और अखिल भारतीय उपस्थिति वाली पाँच इकाई मौजूद हैं। 12
CSIR की कुछ मुख्य उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
भारत की पहली सिंथेटिक दवा, मेथाक्वालोन विकसित की।
स्वदेशी तकनीक पर आधारित पहला भारतीय ट्रैक्टर स्वराज विकसित किया।
भारत का पहला समानांतर प्रसंस्करण कंप्यूटर, फ्लोसोल्वर बनाया।
14 सीटर विमान ‘सरस’ का डिजाइन तैयार किया।
रक्षा उद्देश्यों के लिए सी.जी.सी.आर.आई. में ऑप्टिकल ग्लास विकसित किया।
2009 में ह्यूमन जीनोम की सीक्वेंसिंग पूरी की।
प्राकृतिक रूप से बीस वर्षों की तुलना में हफ्तों के भीतर बांस के फूलने की पहली सफलता हासिल की।
सप्ताह में एक बार ली जाने वाली गैर-स्टेरायडल परिवार नियोजन गोली ‘सहेली’ का आविष्कार किया।
अस्मोन नामक अस्थमा के लिए गैर-स्टेरायडल हर्बल गोली का आविष्कार किया। 3
अगर आप CSIR के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो आप इस लिंक पर क्लिक करके उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं।