भारत में शिक्षा का कार्य और उसका विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। शैक्षिक कार्य को मुख्य रूप से विद्वानों द्वारा तीन भागों में बांटा गया है। प्राचीन काल, मध्य काल और आधुनिक काल। काल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मनुष्य की चेतना में उन्नति करना और उसे समाज में समायोजित करने के लिए सक्षम बनाना रहा है} शिक्षा द्वारा हमारे समाज को विकसित बनाने का कार्य होता है। यह देश में जनता को ज्ञान की प्राप्ति के लिए एक आदर्श प्रणाली प्रदान करता है। शिक्षा के माध्यम से हमारे युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने की संभावनाएं मिलती हैं। इसके अलावा, शिक्षा अनुसंधान के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी विकास को बढ़ावा देता है। इसलिए, शिक्षा के माध्यम से भारतीय समाज का उत्थान हो सकता है। लेकिन, इसे समान रूप से सभी लोगों को उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।जिससे कि न्यायपूर्ण और सक्षम समाज का निर्माण हो सके}

    भारत में शिक्षा का कार्य मुख्य रूप से दो दिशाओं में दिखाई पड़ता है} पहला है -अनौपचारिक शिक्षा, जो घर-परिवार पास-पड़ोस द्वारा प्रदान की जाती है| जिसको सामान्यतः शिक्षा के कार्य और अध्ययन में कम महत्व दिया जाता है | किंतु आधुनिक समय में जब 360 डिग्री लर्निंग की बात होती है तो घर-परिवार, समाज की इसमें बड़ी भूमिका दिखाई पड़ती है | दूसरी तरफ औपचारिक शिक्षा है जिसमें प्रत्यक्ष रूप से विद्यालय, विश्वविद्यालय तथा विभिन्न शैक्षिक प्रबंध संस्थान सम्मिलित है जिनके कार्यों का अध्ययन करके हम भारत में शिक्षा के कार्य,प्रक्रिया और उद्देश्य को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं}

शैक्षिक कार्य

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