a man in overalls and overalls is holding a piece of metal
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परिचय

विद्या जाने Talk on Education

वर्तमान में अनेक राजनीतिक, सामाजिक ,साहित्यिक वेबसाईट हैं|किंतु शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय को लेकर नाम मात्र की वेबसाईट हैं | उनमें भी सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनकी लोगों तक पहुंच नहीं है , हिंदी में नहीं हैं या उनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं हैं | इस वेबसाईटका उद्देश्य है कि शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर न सिर्फ शिक्षक ,वरन छात्र तथा उनके अभिभावक भी चर्चा करें और समाज को सामंजस्यपूर्ण तथा न्यायपूर्ण बनाने में अपनी उचित भूमिका निभाएं | शिक्षा की दशा-दिशा , नीतियों का ज्ञान तथा विचार-विमर्श किसी व्यक्ति,शिक्षक, विद्वान, संस्थान या नीति कार्यक्रम तक सीमित क्यों रहे ? क्यों न इसमें सर्वाधिक प्रभावित छात्र और अभिभावक को सम्मिलित किया जाए ? क्या यह उचित नहीं है कि वर्तमान विश्व में शिक्षण जगत में हो रहे अनेक परिवर्तनों ,नई शिक्षण तकनीकों ,सिद्धांतों और नवाचारों से शिक्षकों और अभिभावकों को तीव्र गति से परिचित कराया जाए अब हमारे पास संसाधन, अवसर हैं और वर्तमान की आवश्यकता भी है कि हम शिक्षण के विकास में अभिभावक को एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में सम्मिलित करें|

विद्या जाने एक वेबसाईट है| जिसका प्रकाशन शिक्षा और शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विचार-विमर्श तथा उसके विस्तार , विकास और गुणवत्ता के उन्नयन के लिए किया जा रहा है, जिससे कि एक बौद्धिक, न्यायपूर्ण तथा सामंजस्यवादी समाज का निर्माण हो सके | इस विचार से कोई असहमत नहीं होगा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो किसी समाज को श्रेष्ठ बना सकता है | जिस वंचित अपेक्षित, परिधीय और दूरस्थ समाज के विकास और शिक्षित करने की बात हम करते हैं वह वर्चुअल तकनीकी शिक्षा के माध्यम से संभव हो सकती है | इसके लिए सिर्फ शिक्षक ही नहीं वरन छात्र और अभिभावक भी अपने विचारों से इस विमर्श को एक नया आयाम दे सकते हैं | इस संदर्भ में निम्नलिखित विषयों पर शिक्षकों, शिक्षाविदों, छात्रों, अभिभावकों आदि के लेख आमंत्रित हैं| लेख इस email talkoneducation@gmail.com पते पर भेजें | अन्य विषयों पर भी आपके विचार और लेख आमंत्रित हैं |

  • देश की शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था का ढाँचा

  • वर्तमान शिक्षा की चुनौतियाँ

  • कितना समाधान प्रस्तुत करेगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

  • दिल्ली राज्य की शिक्षा व्यवस्था और नवाचार-

  • शिक्षक जो दो कदम आगे हैं: आधुनिक और नवाचारी शिक्षक

  • शिक्षक की आवाज़ जरूरी है: साक्षात्कार

  • अलग राह बनाता एक स्कूल

  • मस्ती की पाठशाला: कैसे हो प्राथमिक स्कूल ?

  • हिंदी पेडागोजी

  • भारतीय शिक्षाशास्त्री

  • किस देश की शिक्षा व्यवस्था से प्रेरणा ले सकते हैं?

  • शिक्षा का बजट

  • शिक्षा व्यवस्था में उपेक्षित अभिभावक: नया कदम अभिभावक प्रशिक्षण

  • नहीं छोड़ सकते शिक्षा को बेसहारा

  • कुछ है ,तो कुछ नए तरीके विकसित करने होंगे शिक्षण के लिए

  • भारतीय शिक्षा व्यवस्था का इतिहास भाग-१ ,प्राचीनकाल की शिक्षा व्यवस्था

  • वर्तमान शिक्षा की चुनौतियाँ और निदान के उपाय

  • दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था समस्याओं से दो-दो हाथ

  • गुरु ,शिक्षक, अध्यापक या टीचर, किस रूप में देखते हैं स्वयं को ?

  • एक शिक्षक का साक्षात्कार

  • अभिभावक को कैसी चाहिए शिक्षा व्यवस्था ?

  • छात्रों की आवाज़

  • प्रतिमान स्थापित करता एक विद्यालय

  • शिक्षण की नई पद्धतियां, कितने परिचित हैं हम ?

  • शिक्षण के नए टूल्स, शिक्षण सामग्री

  • समावेशी सर्वव्यापी न्याय पूर्ण शिक्षा को संभव बनाएगी वर्चुअल तकनीक

  • समीक्षा:एक शैक्षिक पुस्तक की

  • प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष शिक्षण की मिश्रित पद्धति ब्लैडेट लर्निंग

हमारा उद्देश्य

शिक्षा के उद्देश्य हमें समाज के विभिन्न मायनों में सुधार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। शिक्षा हमें स्वतंत्र विचार की क्षमता और ज्ञान का आदान-प्रदान करती है। यह हमें स्वयंक्रियता, नैतिक मूल्यों का सम्मान, और अच्छे नागरिक के रूप में विकास करने के लिए प्रोत्साहित करती है। शिक्षा समाज को जागरूक और सक्रिय बनाती है और सामरिकता, समानता, और प्रगति के मानदंडों को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही, शिक्षा हमें अपनी क्षमताओं को निखारने और अवसरों का उपयोग करने की क्षमता प्रदान करती है। शिक्षा के उद्देश्य व्यक्ति को जीवन में संतुष्टि और सफलता की ओर ले जाते हैं।

शिक्षा व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव के माध्यम से मंच प्रदान करने का सशक्त साधन है। यह विद्यार्थियों को समाज में सफलता की ओर ले जाने की क्षमता प्रदान करती है। शिक्षा न केवल ज्ञान को बढ़ाने में सहायता करती है, बल्कि व्यक्तित्व विकास और समानता को बढ़ावा देती है। शिक्षा समाज का आधार है और एक उच्चतम जीवन गुणों के प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा न केवल अधिकार है, बल्कि एक गरिमामयी और सशक्त सामाजिक मुद्दा भी है। समाज की सुरक्षा और समृद्धि के लिए, शिक्षा को सभी तरह के लोगों के लिए उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसलिए, हमें शिक्षा को महत्व देना चाहिए और सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करना चाहिए।

हमारा दृष्टिकोण

हमारे शिक्षक

प्राचीन भारत में शिक्षा

मध्यकालीन भारत में शिक्षा