विद्यार्थियों का कहना है

       बच्चे अपनी शिक्षा को लेकर विभिन्न प्रकार की आकांक्षा रखते हैं। जो उनके बातचीत या साक्षात्कार से पता चलता है |कुछ देशों के विद्यालयों के पाठ्यक्रम और शिक्षण में परिवर्तन विद्यार्थियों के प्रतिपुष्टि के आधार पर किया जाता है | देश के कई प्राइवेट विद्यालयों और दिल्ली सरकार के DBSE स्कूलों में आई बी की शिक्षा प्रणाली कार्यरत है जिसमें बच्चों के विचार और आवस्यकताओं के अनुसार निरंतर बदलाव होते रहते हैं| सामान्यतया बच्चे विज्ञान और गणित में महारत प्राप्त करना चाहते हैं, जबकि कुछ अन्य भौतिक या खेल क्षेत्र में अपने कौशल को बढ़ाना चाहते हैं। कुछ बच्चे साहित्य और कला के लिए अद्वितीय रूचि व्यक्त करते हैं, जबकि कुछ अन्य सामाजिक या नैतिक मुद्दों पर विचार करना पसंद करते हैं। हर बच्चे की प्राथमिकता अलग होती है और उनकी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए वे अपने रुचियों और दक्षताओं के आधार पर अपने माता-पिता और शिक्षकों की सहायता करते हैं।

बच्चों को चाहिए मनोरंजक शिक्षा

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बच्चों का कहना है कि उन्हें पढ़ाई का बोझ नहीं चाहिए, इसलिए हमें उनकी पढ़ाई को खेल-खेल में मजेदार बनाना चाहिए। ऐसा करने से उनका रुचि और ध्यान दोनों बढ़ेगा। हमें इनके पाठ्यक्रम को रोचक और वीडियो, खेल और पढ़ने की गतिविधियों के माध्यम से रोचक बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा, हमें उनके स्वास्थ्य और मनोयोग का ध्यान रखना चाहिए ताकि वे पढ़ाई में उत्साहित और निर्मल रूप से आगे बढ़ सकें। बच्चों को ज्ञान और सीख का आनंद लेने देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाना चाहिए कि वे अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।

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किशोर छात्रों का कहना हैं

किशोरियां क्या कहना चाहती हैं ?

ट्रांसजेंडर छात्र छात्राएं कैसी शिक्षा चाहते हैं ?

ट्रांसजेंडर छात्र छात्राएं अपनी शिक्षा से एक समर्थनयोग्य और आदर्श समाज बनाना चाहते हैं। उन्हें समान अवसरों की आवश्यकता है, जहां वे अपने प्रतिभा को सराह सकें और अपनी क्षमताओं को स्थापित कर सकें। उन्हें ऐसी शिक्षा चाहिए जो समानता, संवेदनशीलता और विस्तार सहित विवेक विकसित करे। इसके साथ ही, उन्हें समाज में स्वीकृति और सम्मान की भावना बढ़ाने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा में भी, वे अपने हक का इस्तेमाल करने की इच्छा रखते हैं और पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से अपनी पढ़ाई में बढ़ना चाहते हैं। ट्रांसजेंडर छात्र छात्राएं समानता और आत्माभिमान के साथ पूरी तरह से समर्थित होने की आशा करते हैं।

विद्यालय पूर्व के बच्चों की शिक्षा

विद्यालय पूर्व के बच्चों की शिक्षा का महत्वपूर्ण एवं व्यापक होना चाहिए। इन बच्चों की उम्र में उन्हें आधारभूत ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का भी संचार किया जाना चाहिए। विद्यालयों में इन बच्चों के लिए उचित और प्रभावी पाठ्यक्रमों की व्यवस्था होनी चाहिए जो उनके संज्ञान विस्तार को बढ़ावा दे सके। विद्यालय में उन्हें रचनात्मकता से भरपूर गतिविधियों का संचार किया जाना चाहिए ताकि वे अपने समय को सदैव सक्रिय रख सकें। इसके अलावा, विद्यालय पूर्व के बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में भी जागरूक करना चाहिए। इस प्रकार, एक समर्पित और सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली विद्यालय पूर्व के बच्चों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित कर सकती है।